मेरठ के पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी समेत पूरा परिवार गैंग की सूची में शामिल
मेरठ में पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी पर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। कुछ समय पहले शासन ने याकूब को प्रदेश माफिया की सूची में शामिल किया था। अब जिला पुलिस ने याकूब कुरैशी का गैंग डी-144 के रूप में पंजीकृत किया है।
इस गैंग में याकूब के बेटे फिरोज और इमरान, पत्नी संजीदा बेगम , घोसीपुर निवासी फैजाब, नरहेड़ा गांव निवासी मुजीब और शास्त्रीनगर निवासी मोहित त्यागी को भी शामिल किया गया है।
एसएसपी रोहित सिंह सजवाण के अनुसार याकूब कुरैशी शातिर अपराधी है, जो अपने सहयोगियों के साथ गैंग बनाकर आर्थिक और भौतिक लाभ लेने के लिए मांस के अवैध कारोबार और अन्य जघन्य अपराध करने में सक्रिय है। निगरानी और नियंत्रण करने के लिए इस गैंग को सूची में शामिल किया गया है।
पहले हाजी याकूब की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। उसने मेरठ में नींबू बेचना शुरू किया था। इसके बाद 2002 में राजनीति में कदम रखा और सबसे पहले बसपा से विधायक बने। फिर मंत्री भी रहे। पिछले साल याकूब की मीट फैक्टरी अल फहीम मीटेक्स प्राइवेट लिमिटेड पर छापेमारी हुई थी। यहां अवैध तरीके से मीट की पैकिंग हो रही थी और खराब मीट विदेशों में भेजा जा रहा था
इस प्रकरण में याकूब, उसकी पत्नी, दो बेटे समेत 17 लोगों को नामजद किया था। काफी प्रयास के बाद याकूब को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। याकूब फिलहाल सोनभद्र जेल में है। याकूब को शुरूआत में मेरठ जेल में रखा गया था, लेकिन यहां पर उसे वीवीआईपी सुविधाओं की शिकायत मिल रही थी, इसके चलते यहां से जेल बदल दी गई थी। याकूब के दोनों बेटे जमानत पर है।
बसपा के कद्दावर नेता कहे जाने वाले याकूब कुरैशी पर फिलहाल संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वह खुद सोनभद्र जेल में बंद है। जिला प्रशासन की तरफ से याकूब को आर्थिक तौर पर भी कमजोर किया जा रहा है। प्रशासन की तरफ से अभी तक याकूब की करीब 40 करोड़ रुपये की संपत्ति और 32 लग्जरी गाड़ियों को जब्त किया जा चुका है। कुछ अन्य संपत्ति भी बची है। इसकी प्रक्रिया चल रही है।
याकूब कुरैशी कई विवादों में भी रहा। इसके अलावा भी अलग-अलग बयानबाजी को लेकर चर्चाओं में रह चुका है। जिस तरीके से याकूब पर शिकंजा कसा जा रहा है, उसके बाद नजदीक दिखने वाले लोगों ने भी दूरी बना ली है।
याकूब कुरैशी ने शुरूआत में यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) नाम से एक अलग पार्टी बनाई थी। इसके बाद वह बसपा में शामिल हो गया था। साल 2007 में याकूब कुरैशी बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। इसके बाद बसपा सरकार ने मंत्री बनाया था। साल 2012 में चुनाव में टिकट कटने के बाद वह लोकदल में शामिल हो गया था। हालांकि कुछ दिन बाद वह सपा में चला गया था। फिर बसपा में वापसी की।