इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, चकबंदी के दौरान चारागाह भूमि आवंटित नहीं किया जा सकता, ऐसा आवंटन अवैध होगा
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि चकबंदी के दौरान चारागाह भूमि की मालियत लगाकर चक आवंटित नहीं किया जा सकता। ऐसा आवंटन अवैध व क्षेत्राधिकार से बाहर होगा।
धारा-19 ए की प्रक्रिया के तहत सार्वजनिक उपयोग की भूमि का विशेष स्थिति में आवंटन किया जा सकता है। कोर्ट ने राज्य सरकार को छूट दी है कि यदि वह चाहे तो कानूनी प्रक्रिया अपनाकर इस मामले में तीन माह में निर्णय ले सकती है। तब तक यथास्थिति कायम रखी जाय।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने आजमगढ़ के बासदेव सहित दर्जनों याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसने आवंटित करने के लिए नहीं कहा है।
सरकार सुप्रीम कोर्ट के हींचलाल तिवारी व जगपाल सिंह केस के निर्देशानुसार निर्णय ले। यदि सरकार कोई निर्णय नहीं लेती तो भूमि चारागाह के रूप में राजस्व अभिलेख में दर्ज की जाय।
कोर्ट ने कहा चारागाह भूमि का आवंटन नहीं किया जा सकता। यह उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम की धारा-132 का उल्लंघन है। कोर्ट ने आवंटन निरस्त कर चारागाह के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया है।