योगी सरकार का बड़ा फैसला; 40 वर्ष से ऊपर वाले छात्र-छात्राओं को नहीं मिलेगी अब छात्रवृत्ति

लखनऊ : प्रदेश सरकार अब 40 वर्ष से ऊपर वालों को छात्रवृत्ति नहीं देगी। अभी तक छात्रवृत्ति के लिए अधिकतम उम्र की कोई सीमा नहीं है।दूसरे राज्य बोर्ड से हाईस्कूल पास छात्र-छात्राओं को भी  अब सरकार छात्रवृत्ति नहीं देगी। केंद्रीय बोर्ड सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड के छात्रों को यूपी बोर्ड की तर्ज पर छात्रवृत्ति मिलती रहेगी। छात्रवृत्ति पाने के लिए छात्रों को डिजिलाकर में पंजीकरण कराना भी अनिवार्य होगा। इससे उनके शैक्षिक डाटा की आनलाइन जांच आसानी से हो सकेगी।

प्रदेश सरकार हर वर्ष करीब 50 लाख से अधिक गरीब परिवारों के छात्र-छात्राओं को दशमोत्तर छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति एवं पूर्व दशम छात्रवृत्ति प्रदान करती है।

इसमें से 14-15 लाख अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राएं शामिल होते हैं। सरकार समाज कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति नियमावली में कई अहम बदलाव करने जा रही है। नियमावली में बदलाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सहमति दे दी है। शीघ्र ही संशोधित नियमावली जारी होने की उम्मीद है।

सबसे बड़ा बदलाव उम्र को लेकर किया जा रहा है। यह बदलाव इसलिए किया जा रहा है क्योंकि पिछले वर्षों में मथुरा व गाजियाबाद आइटीआइ संस्थानों में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में यह तथ्य सामने आया था कि इस योजना में 45 से 75 वर्ष के लोगों को छात्र बनाकर छात्रवृत्ति की रकम हजम कर ली गई।

इनमें से कई बुजुर्ग तो पेंशन पाते थे किंतु उन्हें भी छात्र दिखाकर छात्रवृत्ति की रकम हड़पी गई। छात्रवृत्ति पाने के लिए सभी छात्रों को डिजिलाकर में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। डिजिलाकर को समाज कल्याण विभाग एपीआइ पोर्टल से जोड़ने जा रहा है। इससे आनलाइन शैक्षिक डाटा जांचने में आसानी होगी।

सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही है कि छात्रवृत्ति का आनलाइन आवेदन करने के दौरान आधार नंबर डालते ही प्रमाणीकरण हो जाएगा। इससे आधार में दर्ज नाम, पता, उम्र व पिता का नाम सहित अन्य जानकारी तत्काल आपके छात्रवृत्ति के फार्म में अपने आप आ जाएगी।

यदि किसी छात्र को किसी पाठ्यक्रम में छात्रवृत्ति मिल रही है और बीच में ही उसका प्रतिष्ठित संस्थान में उच्च स्तर के किसी पाठ्यक्रम में दाखिला हो जाता है, तो भी उसे नए पाठ्यक्रम में छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। अभी यदि किसी पाठ्यक्रम में छात्रवृत्ति मिल रही है और उसे बीच में छोड़ने पर उसे दूसरे पाठ्यक्रम में भी छात्रवृत्ति प्रदान नहीं की जाती थी। इसके अलावा अब दूसरे प्रदेशों के विश्वविद्यालयों के यूपी में खुले कैंपस के छात्रों को भी छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी।

प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति 500 रुपये बढ़ाने की तैयारी कर रही है। अभी इन छात्रों को तीन हजार रुपये प्रति वर्ष मिलता है। सरकार इन्हें साढ़े तीन हजार रुपये प्रति वर्ष प्रदान कर सकती है।

अस्वच्छ पेशे मैला ढोने व कच्चे चमड़े का कार्य करने वाले परिवारों के बच्चों को छात्रवृत्ति योजना का लाभ देने के लिए आय की सीमा के बंधन को हटा दिया है। नियमावली संशोधन के बाद इस पेशे में लगे परिवारों के कक्षा नौ व 10 के बच्चों को 3500 प्रति वर्ष छात्रवृत्ति दी जाएगी। अभी ढाई लाख रुपये सालाना तक की आय वाले अनुसूचित जाति के परिवारों के बच्चाें को ही छात्रवृत्ति का लाभ मिलता है।

प्रदेश सरकार छात्रवृत्ति नियमावली में जो बदलाव कर रही है उसके अनुसार अब एक साथ दो पाठ्यक्रम करने पर भी छात्रवृत्ति मिल सकेगी। इसमें एक व्यावसायिक व एक सामान्य पाठ्यक्रम होना चाहिए।

अभी तक एक पाठ्यक्रम के लिए ही छात्रवृत्ति मिलती थी। समाज कल्याण विभाग में आठ स्तरों के एक हजार पाठ्यक्रम हैं जिनमें छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है

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