ट्रेजरी अफसर बन कर की करोड़ों की ठगी, पांच गिरफ्तार, कई राज्यों में सक्रिय था गिरोह
साइबर थाना पुलिस ने ट्रेजरी अफसर बनकर ऑनलाइन करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से नौ मोबाइल, 15 एटीएम कार्ड व 11 प्री एक्टिवेटेड सिम बरामद किए गए हैं। पकड़े गए बदमाशों के देश भर में दर्ज ऑनलाइन ठगी के 179 मामलों में संलिप्तता की बात सामने आई है।
साइबर थाना सीओ अतुल यादव ने बताया कि मिर्जापुर निवासी सेवानिवृत्त मुख्य आरक्षी भोलानाथ चौधरी के खाते से दिसंबर में 10 लाख रुपये निकाल लिए गए थे। इसी तरह प्रतापगढ़ निवासी सेवानिवृत्त उप निरीक्षक राजुकमार के खाते से 20 लाख रुपये उड़ाए गए थे। दोनों के पास साइबर ठगों ने ट्रेजरी अफसर बनकर फोन किया था।
मुकदमा दर्ज कर साइबर थाने के एसआई अनुज कुमार तिवारी, राघवेंद्र कुमार पांडेय, सत्येश राव व रघुबीर सिंह की टीम जांच पड़ताल में जुटी तो पता चला कि ठगी करने वाल गिरोह के सदस्य झारखंड व पश्चिम बंगाल के हैं। इसके बाद मोबाइल नंबरों व बैंक खाता विवरणों की जांच पड़ताल से अभियुक्तों का पता चला जिसके बाद एक टीम ने वहां जाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में इन्होंने बताया कि वह सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों को पेंशन जीपीएफ खाता आदि अपडेट करने के नाम पर ठगी करते थे।
पूछताछ व अभियुक्तों से बरामद मोबाइल, एटीएम कार्ड व सिम आदि के नंबर से एनसीसीआरपी, साइबर सेफ व तेलंगाना पुलिस के सीवाईकैप्स पोर्टल पर सर्च करने पर पता चला कि गिरफ्तार अब्दुल मतीन व अन्य देश भर में ऑनलाइन ठगी के 179 मामलों में संलिप्त हैं। इस गैंग के 12 सदस्य पूर्व में ही विभिन्न राज्यों से गिरफ्तार हो चुके हैं। गैंग ने पूरे देश में सेवानिवृत कर्मचारियों से 18 करोड़ की ठगी की है। घटना में प्रयुक्त बैंक खातों को फ्रीज करा दिया गया है।
साइबर थाना पुलिस के मुताबिक, पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि वह सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के डाटा को ऑनलाइन प्राप्त कर लेते हैं। खास तौर से पुलिसकर्मियों का विवरण पीएनओ के जरिए जुटा लेते हैं। इसके बाद ट्रेजरी अधिकारी बनकर उन्हें फोन करते हैं। वह जिस नंबर से फोन करते हैं, वह ट्रू कॉलर एप में ट्रेजरी अफसर के से अपडेट करते हैं जिससे लोग उनके झांसे में आ जाएं। फिर संबंधित को उसकी नौकरी से संबंधित जानकारी जैसे नियुक्ति जनपद, भर्ती दिनांक, रिटायरमेंट आदि बताकर विश्वास में ले लेते हैं। फिर ऑनलाइन सत्यापन के नाम पर लिंक भेजकर धोखे से रिमोट एप डाउनलोड करा देते हैं और फोन का एक्सेस पाकर नेटबैंकिंग या पेमेंट एप के जरिए खाते से रकम उड़ा देते हैं।
गिरफ्तार अंकित व जीशान एटीएम कार्ड व प्री एक्टिवेटेड सिम का इंतजाम करता था। उसने पूछताछ में बताया है कि पश्चिम बंगाल में बहुत से लोग खाते खुलवाकर 15-20 हजार में इसे बेच देते हैं। इन्हीं खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी में गिरोह के अन्य सदस्य करते हैं। किसी व्यक्ति के खाते से उड़ाई गई रकम इन्हीं खातों में ट्रांसफर कर ली जाती है। जिसे एटीएम कार्ड के जरिए दोनों निकाल लेते थे।