मोटे अनाज की वैश्विक मान्यता पर जी20 देशों का समर्थन

जी-20 सम्मेलन के दौरान मंगलवार को भारत और फ्रांस के बीच द्विपक्षीय बैठक भी हुई। इसमें दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन, फसल विविधीकरण, मिट्टी, जल संरक्षण, प्राकृतिक खेती और बायोफोर्टिफाइड फसलों से संबंधित मामलों में एक दूसरे का सहयोग करने पर प्रतिबद्धता जताई है।

पोषक तत्वों से भरपूर मोटे अनाज  को वैश्विक मान्यता देने पर जी-20 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों का समर्थन मिला है। कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि मोटे अनाज जलवायु के अनुकूल हैं। वैश्विक स्तर पर शोध किया जा सकता है। अनाज वैश्विक खाद्य संकट को दूर करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इनकी उत्पादन क्षमता अच्छी होती है।

जी-20 देशों के कृषि वैज्ञानिकों की तीन दिवसीय  बैठक के दूसरे दिन किसानों की आय बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। कहा गया कि फसल व खाद्य की क्षति कम की जानी चाहिए। इसमें डिजिटल कृषि तकनीक मददगार साबित हो सकती है। पारिवारिक खेती को भी बढ़ावा देना होगा।  इकोसिस्टम को मजबूत बनाने की जरूरत है। भूमि की उर्वरा शक्ति को मजबूत बनाने की दिशा में काम करना है। प्रयोगशाला की मदद से शोध को आगे बढ़ाना है। वैश्विक सहयोग से ही कृषि चुनौतियों से निजात पाया जा सकता है। उनका कहना है कि मोटा  अनाज पोषक तत्वों से भरपूर हैं। कम क्षेत्रफल में फसलों की ज्यादा पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इससे पहले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डाॅ. हिमांशु पाठक की अध्यक्षता में डिजिटल कृषि तकनीक को बढ़ावा देने पर बात हुई। इसमें जी-20 देशों के 80 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। अंतरराष्ट्रीय संगठन व विशेष आमंत्रित सदस्यों के प्रतिनिधियों ने भी अपनी राय दी है

भारत की ओर से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डाॅ. हिमांशु पाठक और राष्ट्रीय कृषि, खाद्य एवं पर्यावरण अनुसंधान संस्थान फ्रांस के अध्यक्ष फिलिप माउगिन ने बैठक में हिस्सा लिया

 

 

 

 

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