बच्चों के टीकाकरण में फेल 11 जिलों की निगरानी के लिए बनेगी कमेटी, हर महीने की जाएगी समीक्षा

टीकाकरण में फेल 11 जिले में चालू वित्तीय वर्ष के लक्ष्य को लेकर अभी से नकेल कसी जा रही है। इन जिलों में निगरानी के लिए अलग से कमेटी बनेगी। वहीं, हर माह प्रदेश मुख्यालय से समीक्षा की जाएगी। इन जिलों में 90 फीसदी से कम टीकाकरण हुआ था, सीएमओ से इसकी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। स्वास्थ्य विभाग की कोशिश है कि वर्ष 2023-24 में इन जिलों का भी ग्राफ शत प्रतिशत के करीब पहुंच जाए।

प्रदेश में बच्चों को निशुल्क टीकाकरण किया जाता है। इससे उनको डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी, टीबी व खसरा, गलसुआ, रूबैला, निमोनिया, रोटावायरस, चिकनपॉक्स आदि गंभीर बीमारियों का सुरक्षा कवच मिल जाता है। वर्ष 2021-22 में टीकाकरण का ग्राफ 85.86 फीसदी तक रहा। वर्ष 2022-23 में शून्य से एक साल तक के  बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया। जो बच्चे नियमित टीकाकरण से छूट गए थे, उनके लिए जनवरी से मार्च तक विशेष अभियान चलाया गया। नतीजतन टीकाकरण का 98.39 फीसदी पहुंच गया।

26 जिलों में 100 फीसदी से ज्यादा तो 11 जिलों में 90 फीसदी से कम टीकाकरण हुआ है। जालौन, ललितपुर और सुल्तानपुर में टीकाकरण 80 फीसदी तक भी नहीं पहुंच पाया। इसके लेकर विभाग अलर्ट हो गया है। जहां ज्यादा टीकाकरण हुआ है, उसके पीछे संबंधित क्षेत्र में औद्योगिक विकास होने की वजह से दूसरे जिलों के लोगों का आगमन माना जा रहा है।  जहां कम टीकाकरण हुआ है, उसे पलायन के साथ ही विभागीय लापरवाही भी माना गया है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने कम टीकाकरण वाले जिलों पर निगरानी बढ़ा दी है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा का कहना है कि टीकाकरण विभाग की प्राथमिकता में है। जिन जिलों में कम टीकाकरण हुआ है, उनकी विशेष निगरानी की जा रही है। कारणों की पड़ताल कर वर्ष 2023-24 के लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है।

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