अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़े को कोर्ट से नहीं मिली राहत, कोर्ट ने शादी को किया अमान्य

प्रयागराज: हाईकोर्ट ने अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़े की ओर से सुरक्षा के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने उत्तर प्रदेश गैर कानूनी धर्म परिवर्तन अधिनियम 2021 की धारा 8 व 9 का पालन न किए जाने पर विवाह को अमान्य घोषित कर दिया। साथ ही संरक्षण याचिका भी खारिज कर दी। अधिवक्ता संजय कुमार श्रीवास्तव ने याची की ओर से पक्ष रखा।

निकिता नजराना बनाम उत्तर प्रदेश व अन्य मामले में याची ने धर्म बदल कर एक हिंदू युवक से शादी की थी। परिजनों से खतरा महसूस होने पर संरक्षण याचिका दायर की। याची की ओर से पर्याप्त सुरक्षा दिए जाने की मांग की गई। यह भी कि पति-पत्नी के रूप में शांतिपूर्वक रहने में कोई हस्तक्षेप न करे।

शासकीय अधिवक्ता ने इस मामले में कोर्ट को बताया कि युवती ने धर्म बदलने के दौरान धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम की धारा 8 व 9 का पालन नहीं किया है। इसलिए विवाह अमान्य है। याची के अधिवक्ता ने कहा, याची ने आर्य समाज मंदिर में 2017 में धर्म परिवर्तन किया था, इसलिए नए धर्मांतरण की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और याचिका खारिज कर दी। साथ ही कहा कि धारा 8 व 9 का अनुपालन सुनिश्चित करने के बाद एक नई याचिका दायर की जा सकती है।

उत्तर प्रदेश धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2021 की धारा 8 व 9 का अनुपालन धर्म परिवर्तन के दौरान अनिवार्य है। धारा 8 के अनुसार धर्म परिवर्तन के लिए जिला मजिस्ट्रेट या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को कम से कम 60 दिन पहले इस बारे में एक घोषणा पत्र देना होगा कि धर्म परिवर्तन का निर्णय उसका अपना है। वहीं धारा 9 के अनुसार धर्मांतरण के बाद भी एक घोषणा करनी होगी। साथ ही नाम, पता आदि की पूरी जानकारी देनी होगी।

 

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