अब बेसिक स्कूलों के बच्चे प्रणाम और सलाम के साथ करेंगे वणक्कम से स्वागत, पाठ्यक्रम में होगा शामिल, एनसीईआरटी ने दी मंजूरी

वाराणसी: बेसिक स्कूलों के बच्चों को अब प्रणाम, सलाम के साथ वणक्कम बोलना भी सिखाया जाएगा। कुछ त्योहारों और खाद्य पदार्थों के नाम भी दक्षिण भारत की भाषा के अनुसार होंगे। एनसीईआरटी ने बेसिक स्कूलों के पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने की मंजूरी दी है। उद्देश्य ये है कि बच्चे देश के अन्य राज्यों की भाषा-बोली भी जान सकें।

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित प्राथमिक स्कूलों में कक्षा एक और दो की अंग्रेजी, हिंदी और गणित की राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद और एनसीईआरटी की किताबें चलनी है। इन किताबों को अब उत्तर प्रदेश में प्रचलित भाषाओं में अपग्रेड किया जा रहा है।

राज्य शिक्षा संस्थान की सहायक उप शिक्षा निदेशक डॉ. दीप्ति मिश्रा ने बताया कि संस्थान की ओर से एनसीईआरटी मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी गई थी। इसमें कक्षा एक के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम दो में अभिवादन में वणक्कम के स्थान पर प्रणाम और सलाम शब्द लिखने की अनुमति मांगी गई थी।

एनसीईआरटी ने प्रणाम और सलाम शब्द तो छापने की अनुमति दी ही है, साथ ही वणक्कम भी शामिल करने को कहा है। तर्क दिया कि इससे बच्चे भाषा की विविधता से परिचित हो सकेंगे। जिला बेसिक शिक्षाधिकारी अरविंद कुमार पाठक ने बताया कि बदलाव से प्राथमिक स्तर से बच्चे हर भाषा में दक्ष होंगे। साथ ही उनका भाषा ज्ञान भी बढ़ेगा।

राज्य शिक्षा संस्थान ने उत्तर प्रदेश में इडली की जगह हलवा शब्द को शामिल करने की मांग की थी। इस पर एनसीईआरटी ने दोनों शब्द लिखने को कहा है। उनका कहना है कि इडली दक्षिण भारत का प्रमुख व्यंजन है। इसे देश भर में प्रचलित है। दक्षिण भारत का त्योहार पोंगल को यहां की दृष्टि से मकर संक्रांति और लोहड़ी कहते हैं। इस लिहाज इन तीनों शब्दों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए रखने को कहा है।

 

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