तहरीक-ए-हुर्रियत पर लगा प्रतिबंध, कश्मीर में इस्लामिक शासन लागू करना चाहता है यह संगठन

नई दिल्ली: सरकार ने जम्मू कश्मीर के संगठन तहरीक ए हुर्रियत पर प्रतिबंध लगा दिया है। यूएपीए कानून के तहत यह कार्रवाई की गई है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि यह संगठन गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल है और जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करके राज्य में इस्लामिक शासन स्थापित करना चाहता है। तहरीक ए हुर्रियत का गठन भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा फैलाने और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया गया था।

गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर साझा किए एक पोस्ट में बताया कि ‘तहरीक ए हुर्रियत, जम्मू कश्मीर को यूएपीए के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति के तहत कोई भी व्यक्ति या संगठन अगर भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाएगा तो उसे नेस्तानाबूत कर दिया जाएगा।’

जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने साल 2004 में तहरीक ए हुर्रियत का गठन किया था। गिलानी के बाद तहरीक ए हुर्रियत के अध्यक्ष मुहम्मद अशरफ सेहराई थे, जिनका भी साल 2021 में निधन हो गया। यह संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का सहयोगी संगठन है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस जम्मू कश्मीर के 26 संगठनों का समूह है, जिसका गठन 1993 में किया गया था। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में कई ऐसे संगठन शामिल हैं, जो पाकिस्तान समर्थक और अलगाववादी माने जाते हैं। इनमें जमात ए इस्लामी, जेकेएलएफ और दुखतरान ए मिल्लत आदि का नाम शामिल है। साल 2005 में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस दो धड़ों में बंट गया। इसके नरमपंथी गुट का नेतृत्व मीरवाइज उमर फारुख को मिला। वहीं चरमपंथी गुट का नेतृत्व सैयद अली शाह गिलानी ने किया।

 

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