इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, शादी से इन्कार खुदकुशी के लिए दुष्प्रेरित करना नहीं
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल तय शादी से इन्कार करना खुदकुशी के लिए दुष्प्रेरित करना नहीं माना जा सकता। इसी के साथ कोर्ट ने वाराणसी के भेलूपुर थाने में खुदकुशी के लिए दुष्प्रेरित करने व दहेज की मांग पूरी न होने पर शादी तोड़ने के आरोप में एसीजेएम की अदालत में चल रहे आपराधिक केस कार्यवाही को रद्द कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने अंबेश मणि त्रिपाठी की धारा 482 के तहत दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी व अभिनव गौर ने बहस की।
इनका कहना था कि खुदकुशी करने वाली लड़की ने नोट में याची को अपनी मौत के लिए दोषी नहीं माना है। युवती के पिता ने खुदकुशी के लिए उत्प्रेरित करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी। कहा-दहेज की मांग पूरी न करने पर सगाई से पहले शादी तोड दी, जिससे पीड़िता ने खुदकुशी कर ली। याची अधिवक्ता का कहना था कि शादी से इन्कार कर देना खुदकुशी करने के लिए दुष्प्रेरित करना नहीं माना जा सकता।
एफआईआर के आरोपों से साफ है कि याची ने कभी उकसाया नहीं था। सरकारी वकील व शिकायतकर्ता का कहना था कि दहेज के लिए शादी से इन्कार खुदकुशी की वजह थी। इसलिए याची पर खुदकुशी के लिए दुष्प्रेरित करने का अपराध बनता है। जिसे कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव के चलते दुष्प्रेरित का अपराध मानने से इन्कार कर दिया और केस कार्यवाही रद्द कर दी।