आरटीआइ के दुरुपयोग से पैदा हो रहा अधिकारियों में भय, दिल्ली हाई कोर्ट ने जारी किये ये निर्देश

नई दिल्ली। भ्रष्ट तंत्र और अन्याय के विरुद्ध एक अहम हथियार माने जाने वाले सूचना का अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम के दुरुपयोग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाते हुए चिंता व्यक्त की है।

अदालत ने कहा कि यह अधिनियम प्रत्येक नागरिक की सूचना तक सुरक्षित पहुंच प्रदान करने के साथ ही भ्रष्टाचार को रोकने व सरकारों और उनके तंत्रों को जवाबदेह बनाने के लिए बनाया गया था। अदालत के सामने ऐसे कई मामले आ रहे हैं, जिनमें आरटीआइ अधिनियम का दुरुपयोग के कारण सरकारी अधिकारियों में भय पैदा हुआ है।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि आरटीआइ अधिनियम का उद्देश्य सुशासन को आगे बढ़ाना है और इसका दुर्भाग्यपूर्ण दुरुपयोग इसके महत्व को कम करने के साथ ही सरकारी कर्मचारियों को अपने कामकाज करने से रोक देगा। अदालत ने यह टिप्पणी केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देने वाली शिशिर चंद की याचिका का निपटारा करते हुए की।

अदालत ने कहा कि निसंदेह याचिकाकर्ता शिशिर चंद द्वारा डॅा.अतुल छाबड़ा की डिग्री का पता लगाने के लिए बार-बार आवेदन दायर करके आरटीआइ अधिनियम का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसे आरटीआइ के दुरुपयोग का उत्कृष्ट मामला बताते हुए पीठ ने कहा कि शिशिर बार-बार डॅाक्टर की डिग्री पर सवाल उठाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि न्यायिक आदेश में कहा गया था कि डाक्टर के पास अपेक्षित योग्यता थी।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता  भले ही आरटीआइ की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं, लेकिन जानकारी प्रदान करना अधिकारियों का कर्तव्य है और जब जानकारी प्रदान की जाती है तो वही जानकारी प्रदान करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जो जानकारी पहले ही दी जा चुकी है, उसे दोबारा देने की जरूरत नहीं है और इस आधार पर आवेदन खारिज किया जा सकता है।

यह है मामला याचिकाकर्ता शिशिर चंद ने सीआइसी के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें सीआइसी ने अपनी रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि जमशेदपुर के टाटा मेमोरियल हास्पिटल के डॅा.अतुल छाबड़ा की चिकित्सीय लापरवाही के कारण शिशिर चंद के छोटे भाई की असामयिक मृत्यु के संबंध में जानकारी मांगने संबंधी किसी भी अन्य आवेदन पर विचार न किया जाए। चंद द्वारा अन्य विवरणों के साथ-साथ संबंधित डाक्टर के बारे में जानकारी मांगने के लिए कुल 15 आरटीआइ आवेदन दायर किए गए थे।

 

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