लखनऊ में मंत्री एके शर्मा ने रैन बसेरे का लिया जाएजा: फुटपाथ और पुल के नीचे ठंड में सो रहे थे मजबूर

 

उत्तर प्रदेश में हाड़ कंपाने वाली ठंड शुरू हो गई है। जिसमें मोटे-मोटे गरम कपड़े भी बेअसर साबित हो रहे हैं। शनिवार देर रात नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने जियामऊ में रैन बसेरे का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने कहा, रैन बसेरे में सारी व्यवस्थाएं ठीक हैं। लोगों को ठंड से बचाया जा रहा है।

उधर, मंत्री के दौरे के बाद रात 12 बजे से 1 बजे तक गोमती नगर और इंदिरा नगर में रैन बसेरे के हालात जानने पहुंचा। जहां लोग ठेले, पुल और फुटपाथ पर पर सोते मिले। सड़क पर सो रहे मजदूरों ने बताया कि मुझे शहर में रैन बसेरे के बारे में नही पता है।

 

 

 

गोमती नगर विभूति खंड में हयात होटल से गोमती नगर स्टेशन को जाने वाली सड़क पर रात 12.10 बजे 10 से ज्यादा लोग ऐसे ही खुले आसमान में सो रहे थे। एक मजदूर प्रेम सोनी ने बताया, वह सब दिहाड़ी मजदूरी करते है।

पत्रकार पुरम के लेबर अड्‌डे पर जाते हैं। रात को यहां आकर सो जाते है। सड़क पर ही ईट का चूल्हा तैयार कर खाना भी बनाते हैं। शहर में रैन बसेरा या इस तरह की कोई सुविधा है। उनको इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। कहीं जगह नहीं मिलता को सड़क के किनारे ही सो जाते है।

 

 

 

 

गोमती नगर थाने से विद्युत सुरक्षा निदेशालय को जाने वाली सड़क पर भी 12.50 बजे मजदूर सड़क के किनारे सोते दिखाई दिए। हालांकि यह संख्या महज दो रही। एक मजदूर ठेले पर ही कंबल डाले सो गए थे। बड़ी बात यह है कि यह इलाका शहर के सबसे वीआईपी इलाकों में है। महज 100 मीटर की दूरी पर थाना मौजूद है, लेकिन उसके बाद भी इनको कोई वहां से रैन बसेरा लेकर जाने वाला नहीं है।

पॉलिटेक्निक चौराहे पर पुलिस सहायता केंद्र के ठीक सामने रात 1 बजे एक व्यक्ति ठंड में सो रहा है। उसके अलावा एक मजदूर बस स्टाफ पर सोते हुए दिखा। वहां से इंदिरा नगर मुंशीपुलिया की तरफ बढ़े तो चौराहे की चौड़ी वाली डिवाइडर पर 10 से ज्यादा मजदूर सो रहे थे। यहां से प्रतिदिन सैकड़ों लोग अधिकारी गुजरते है।

 

 

 

 

जोन 7 का रैन बसेरा यहां से महज एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है। उसके बाद भी इन मजदूरों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। यहां के मजदूरों से बात करने की कोशिश की। लेकिन काम के बाद वह कदर थके थे कि आवाज देने के बाद भी कोई उठ नहीं पा रहा था।

इंदिरा नगर सेक्टर 14 ओल्ड बिजली घर से मुंशीपुलिया की तरफ बढ़ने पर सबसे चौंकाने वाला नजारा देखने को मिला। यहां मेट्रो स्टेशन के नीचे करीब 100 से ज्यादा लोग सो रहे थे। सोने वाले ज्यादातर लोगों के पास रिक्शा खड़ा हुआ था। ऐसे में यह मालूम पड़ रहा था कि शायद कई लोग दिन में रिक्शा चलाने का काम करते है। मेट्रो के दोनों तरफ जब टीम ने नजर दौड़ाई तो सोने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। यह संख्या एक समय 100 से भी ज्यादा हो गई थी।

 

 

 

 

यह तस्वीर नगर निगम के रैन बसेरा की है। यहां मंत्री का दौरा था। इसकी सूचना मीडिया को शाम 6. 15 बजे पर दी गई। अधिकारियों को इसकी जानकारी इससे भी पहले से थी।

मंत्री एके शर्मा यहां पहुंचे तो इन रैन बसेरों में सभी सुविधाएं जबरदस्त मिली। कंबल नए दिखा रहे थे। यहां रहने वालों के लिए गीजर की व्यवस्था की गई है। जरूरी पड़ने पर अलाव और रूम हीटर तक उपलब्ध कराने को कहा गया है। लेकिन उसके इतर शहर में दैनिक भास्कर की टीम को महज 5 KM के अंदर सैकड़ों लोग सड़क किनारे सोते हुए नजर आए।

 

 

 

 

सड़क किनारे सोने वाले लोगों को रैन बसेरा तक पहुंचाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और नगर निगम की है। सीएम के आदेश के बाद भी सड़क किनारे ठंड में सैकड़ों लोग सोने को मजबूर है। जबकि अधिकारी मंत्री को महज रैन बसेरा दिखाने तक सीमित है। जबकि इन लोगों को रैन बसेरा तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी अधिकारियों की है। सड़क किनारे एक भी व्यक्ति सोता न मिले यह देखना नगर निगम की जिम्मेदारी बनती है। लेकिन अधिकारी महज कागजों में काम दिखाने तक सीमित है।

 

 

 

 

 

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