भूटान के राजा जिग्मे वांगचुक आज आ रहे हैं भारत ,पीएम मोदी समेत इन नेताओं से करेंगे मुलाकात
नई दिल्ली। चीन के साथ अपने सीमा विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने की सहमति बनाने के कुछ ही दिनों बाद भूटान के राजा जिग्मे वांगचुक भारत दौरे पर आ रहे हैं। वांगुचक इस आठ दिवसीय दौरे के पहले दौर में शुक्रवार को असम राज्य पहुंचेंगे। असम में उनका प्रवास तीन दिनों का है।
असम के अलावा वह नई दिल्ली और महाराष्ट्र की यात्रा पर भी होंगे। नई दिल्ली में उनकी इस यात्रा के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। 03 से 10 नवबंर तक भूटान के राजा का भारत दौरा होगा जिस दौरान वह भारतीय अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय व दूसरे क्षेत्रीय मुद्दों पर विमर्श करेंगे।। भारत-भूटान रिश्तों को आगे और किस तरह से मजबूत किया जाएगा, इस पर चर्चा होगी।
23 अक्टूबर, 2023 को ही चीन और भूटान के विदेश मंत्रियों के बीच महत्वपूर्ण बैठक हुई है जिसमें मौजूदा सीमा वार्ता को जल्द से जल्द सुलझाने की सहमति बनी है। इस सहमति का भारत के हितों पर भी दीर्घकालिक असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। भारत में सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत में चीन-भूटान के बीच होने वाली सीमा समझौता का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण रहेगा।
चीन की तरफ से यह भी कहा गया है कि वह भूटान के साथ पूर्णकालिक कूटनीतिक संबंध स्थापित करने के पक्ष में है। अभी तक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आम तौर पर भूटान अपने हित भारत के हितों के साथ जोड़ कर देखता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में यह देखा जा रहा है कि चीन भूटान को आकर्षित करने की पूरी कोशिश कर रहा है।भूटान और चीन के बीच जिन इलाकों को लेकर सहमति बननी है उसमें डोकलाम का भी इलाका भी है। यह हिस्सा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश के पूरे हिस्से से जोड़ने वाले भौगोलिक क्षेत्र (सिक्कम व असम के बीच-चिकेन नेक) से उत्तर दिशा में है।
यहां से भारत और पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने वाले सड़क मार्ग की निगरानी करना आसान होगा। इस पूरे क्षेत्र में चीन की तरफ से होने वाली किसी तरह की गतिविधि की भारत काफी विरोध करता है। वर्ष 2017 में डोकलाम में चीन की तरफ से नई सड़क मार्ग बनाने को लेकर चीन और भारत के बीच सैन्य तनाव काफी बढ़ गया था जिसे पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई वार्ता के बाद ही सामान्य किया जा सका था।
वैसे भूटान ने यह स्पष्ट किया है कि डोकलाम का मुद्दा सिर्फ चीन व भूटान का नहीं है बल्कि भारत भी इससे जुड़ा हुआ है और कोई भी समझौता तीनों देशों के बीच सहमति बनने के बाद ही होगी। इसके बावजूद भारत लगातार भूटान को अपनी स्थिति से अवगत कराता रहा है।