आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले तीन विधेयकों के ड्राफ्ट को संसदीय समिति से नहीं मिली मंजूरी, सामने आई ये वजह
नई दिल्ली: आपराधिक कानूनों की जगह लेने के लिए लाए गए तीन विधेयकों के ड्राफ्ट को संसदीय समिति ने मंजूर नहीं किया है। कुछ विपक्षी सांसदों ने मांग की है कि उन्हें इन विधेयकों का अध्ययन करने के लिए अभी और समय चाहिए। जिसके बाद शुक्रवार की बैठक में विधेयकों के ड्राफ्ट को मंजूरी नहीं मिल पाई। अब संसदीय समिति की अगली बैठक 6 नवंबर को होगी, जिसमें इन विधेयकों के ड्राफ्ट को मंजूरी मिलने की उम्मीद है
संसदीय समिति इन विधेयकों के ड्राफ्ट की जांच कर रही है। संसदीय समिति में शामिल विपक्षी सांसद पी चिदंबरम ने कमेटी के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृज लाल को एक पत्र लिखा है, जिसमें अपना मत देने और विधेयकों के अध्ययन के लिए और समय देने की मांग की गई है। औपनिवेशिक काल के तीन आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले तीन विधेयक बीते मानसून सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किए थे। इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता, द कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम पेश किया गया है।
लोकसभा में पेश करने के बाद ये तीनों विधेयक संसद की समिति के पास जांच के लिए भेज दिए गए थे। संसद के अगले सत्र में इन विधेयकों पर सदन में चर्चा हो सकती है। जिन कानूनों को बदला जाएगा, वह भारत में अपराधों की अभियोजन प्रक्रिया की नींव हैं। इनमें से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) से तय होता है कि कौन सा कृत्य अपराध है और उसके लिए क्या सजा होनी चाहिए। वहीं गिरफ्तारी जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया दंड प्रक्रिया संहिता में लिखी हुई है। साथ ही केस के तथ्यों को कैसे साबित किया जाएगा, यह भारतीय साक्ष्य अधिनियम बताता है। सरकार का कहना है कि ये तीनों कानून देश में उपनिवेशवाद की विरासत हैं और इन्हें आज के हालात के अनुसार किया जा रहा है।