शिशुओं में फेफडे के दुर्लभ जानलेवा जन्मजात विसंगति सीएलई का सफल आप्रेशन

सैफई इटावा। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय यूपीयूएमएस के पीडियाट्रिक्स सर्जरी विभाग के चिकित्सकों द्वारा नौ महीने के शिशु के फेफडे की दुर्लभ एवं घातक जन्मजात विसंगति कंजेनिटल लोबार इम्फीसेमा सीएलई का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। यह जानकारी पीडियाट्रिक्स सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा0 उमेश कुमार गुप्ता ने दी। उन्होंने बताया कि इस विसंगति के कारण शिशु को जन्म से ही साॅस संबधी परेशानी हो रही थी जिसके इलाज के लिए शिशु के माता-पिता द्वारा विभिन्न शहरों में कई डाॅक्टरों को दिखाया तथा परामर्श लिया गया। जहाॅ शिशु के छाती में अत्यधिक हवा भरने की समस्या (न्यूमोथेरैक्स) का इलाज भी बायें फेफडे़ में नली डालकर किया गया। इन प्रयासों का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिलने पर शिशु के माता पिता द्वारा विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक्स विभाग में विभागाध्यक्ष डा0 राजेश यादव, प्रो0 आईके शर्मा, व सहायक प्रोफेसर डा0 मुनीबा अलीम की देख-रेख में जरूरी जाॅचों के साथ इलाज शुरू किया गया। जिसमें शिशु के बाएं फेफड़े के ऊपरी हिस्से में सीएलई की बीमारी पकड़ में आई। इसके सफल आप्रेशन के लिए शिशु को पीडियाट्रिक्स सर्जरी विभाग में रेफर किया गया।

एनेस्थीसिया विभाग की विभागाध्यक्षा प्रोफेसर डॉक्टर उषा शुक्ला ने बताया कि पीडियाट्रिक्स सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा0 उमेश कुमार गुप्ता, सहायक प्रोफेसर डा0 राफे ए रहमान, डा0 सुरवेश की टीम ने दो घंटे की मेहनत के बाद इस जटील आप्रेशन को पूरा किया। जिसमें शिशु के बाएं फेफड़े के रोगग्रस्त हिस्से को सर्जरी करके निकाल दिया गया। आप्रेशन के दौरान एनेस्थिसिया विभाग से डा0 सुचि निगम ने ऐनेस्थिसिया प्रबन्ध की जिम्मेदारी निभायी। इसके अलावा पोस्ट आप्रेशन के बाद पीडियाट्रिक्स विभाग के डा0 दुर्गेश कुमार, डा0 गणेश कुमार वर्मा, डा0 रमेश कुमार एवं डा0 शाम्भवी आदि ने शिशु की स्थिति पर पूरी निगरानी रखी। शिशु अब कृत्रिम श्वास से हटा दिया गया है तथा पूरी तरह ठीक है। उसे साॅस लेने में अब किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही है। इस सफल आप्रेशन पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डा0 प्रभात कुमार सिंह, प्रतिकुलपति डा0 रमाकान्त यादव, संकायाध्यक्ष डा0 आदेश कुमार, कुलसचिव डा0 चन्द्रवीर सिंह, चिकित्सा अधीक्षक डा0 एसपी सिंह आदि ने पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के चिकित्सकों एवं पीडियाट्रिक्स विभाग को बधाई दी।

 

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