मदरसों को मिल रही विदेशी फंडिंग के मामले मे यूपी के 4000 से ज्यादा मदरसों की जांच करेगी एसआईटी, देश विरोधी गतिविधि का है शक

लखनऊ: प्रदेश में संचालित हो रहे मदरसों को मिल रही विदेशी फंडिंग की धनराशि से धर्मांतरण जैसे क्रियाकलापों पर खर्च किए जाने की शिकायतों को लेकर सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। सरकार ने विभिन्न जिलों में चल रहे करीब 4000 हजार से अधिक मदरसों की जांच एसआईटी से कराने का फैसला किया है। आतंक निरोधी दस्ता (एटीएस) के एडीजी मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित एसआईटी  मदरसों को मिल रही विदेशी फंडिंग की जांच करेगी।

एसआईटी में एसपी साइबर क्राइम डॉक्टर त्रिवेणी सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे. रीभा को भी शामिल किया गया है। एसआईटी मदरसों को मिलने वाली विदेशी व गैर-कानूनी फंडिंग का पता लगाएगी। उन्हें विदेशों से आ रही रकम से देश विरोधी व अवैध मतांतरण जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिए जाने का संदेह है

एसआईटी मदरसों में हो रही फंडिंग की सिलसिलेवार जांच करेगी। सभी मदरसों को नोटिस देकर फारेन करेंसी अकाउंट (ईईएफसी) के माध्यम से हो रहे लेनदेन की जानकारी मांगी जाएगी। इसके बाद उन मदरसों को सूचीबद्ध किया जाएगा, जिन्हें विदेशों से रकम भेजी जा रही है। फिर इस बात की जांच होगी कि किन-किन देश से रकम भेजी गई है और इसका प्रयोग किन-किन गतिविधियों में किया गया है।

नेपाल सीमा से सटे लखीमपुर खीरी , पीलीभीत, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और बहराइच के अलावा आसपास कई  अन्य क्षेत्रों में एक हजार से अधिक मदरसों का संचालन किया जा रहा है।  बीते कुछ दिनों में इन इलाकों में मदरसों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। साथ ही इन मदरसों को विदेशी फंडिंग मिलने की भी जानकारी मिली थी।

इस आधार पर अल्पसंख्यक विभाग ने कई जिलों में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच भी की थी, जिसमें कई मदरसों के आय के स्रोत के तौर पर विदेशी फंडिंग मिलने की बात भी सामने आई थी। बीते दिनों एटीएस ने बांग्लादेशी नागरिकों व रोहिंग्या की घुसपैठ कराने वाले गिरोह के तीन सक्रिय सदस्यों को पकड़ा है। जांच में सामने आया कि दिल्ली से संचालित एनजीओ के माध्यम से तीन वर्षों में 20 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग हुई, जिसका उपयोग घुसपैठियों की मदद के लिए किया जा रहा था।

 

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