महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने के मामले मे नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत चार आरोपितों को आरोपों से मुक्त करने की मांग वाली अर्जी खारिज
लखनऊ। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के परिवार की महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने के मामले में आरोपित बसपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित चार आरोपितों को आरोपो से मुक्त करने की मांग वाली अर्जी एमपी/एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश हरबंस नारायण ने खारिज कर दी है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद विशेष न्यायालय ने एक अन्य आरोपी मेवालाल गौतम के विरुद्ध पाक्सो एक्ट की धारा 11(1) को हटा दिया है।
मामले की रिपोर्ट मंत्री दयाशंकर सिंह की माता ने जुलाई 2016 को हजरतगंज थाने में दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि 20 जुलाई 2016 को राज्यसभा में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उनकी बेटी, बहु एवं नातिन के साथ साथ देश की समस्त महिलाओं को पूरे सदन में गालियां दी एवं अपशब्द कहे। जिसके बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राम अचल राजभर एवं मेवालाल आदि नेताओं ने अंबेडकर प्रतिमा पर पहुंच कर अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर उनके पुत्र दयाशंकर सिंह को गालियां दी तथा परिवार की महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी कर प्रदर्शन किया था।
एमपी/एमएल कोर्ट के विशेष अधिवक्ता रमेश कुमार शुक्ला ने न्यायालय के समक्ष बताया कि उक्त वाद के आरोपी नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित अन्य आरोपियों के विरुद्ध 22 फरवरी 2021 को आरोप तय किए जा चुके है। पूर्व मंत्री स्वाति सिंह की गवाही चल रही थी। आरोपी मेवालाल गौतम की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर निचली अदालत की कार्यवाही को चुनौती दी गयी। हाईकोर्ट ने उक्त आरोपी पर लगी पाक्सो एक्ट की धाराओं को निरस्त कर दिया था।
आदेश के अनुक्रम में विशेष अदालत ने उक्त आरोपी पर से पाक्सो एक्ट की धाराओं को हटा दिया। नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित अन्य आरोपितों ने भी अलग-अलग प्रार्थना पत्र देकर पाक्सो एक्ट की धाराओं को आरोप पत्र से हटाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि एक बार आरोप तय होने के बाद जब मुकदमे का विचारण प्रारंभ हो जाता है, तब उसका निस्तारण दोष सिद्धि अथवा दोष मुक्त के आधार पर ही किया जा सकता है।
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि इस न्यायालय को अपने किसी भी आदेश को वापस लेने का अधिकार नहीं है। मेवालाल गौतम का मामला भिन्न है क्योंकि उसने माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने पॉक्सो एक्ट की धाराओं के उन्मोचन का आदेश दिया है। अन्य आरोपियों के पास उच्च न्यायालय का ऐसा कोई आदेश नहीं है। अदालत ने अभियोजन को अगली सुनवाई पर साक्षी पूर्व मंत्री स्वाति सिंह को प्रस्तुत कर बयान कराए जाने का आदेश दिया।