बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला कल, दोषियों की समय पूर्व रिहाई को दी गई है चुनौती
नई दिल्ली:गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो मामले में दोषियों की समय पूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फैसला सुनाएगा। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने गत वर्ष 12 अक्तूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
याचिकाओं में गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकिस बानो समेत कई हत्याओं और सामूहिक दुष्कर्म के लिए आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों को सजा में छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। वर्ष 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर आजीवन कारावास की सजा काट रहे इन दोषियों को रिहा कर दिया गया था। शुरुआत में दोषियों को समय पूर्व रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दायर की गईं।
पिछले साल सितंबर में मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पूछा था कि क्या दोषियों के पास माफी मांगने का मौलिक अधिकार है। पहले की दलीलों के दौरान, शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य सरकारों को दोषियों को छूट देने में चयनात्मक नहीं होना चाहिए और सुधार और समाज के साथ फिर से जुड़ने का अवसर हर कैदी को मिलना चाहिए।
गुजरात सरकार द्वारा उन्हें दी गई छूट को चुनौती देने वाली बानो द्वारा दायर याचिका के अलावा सीपीआई (एम) नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लौल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा सहित अन्य ने राहत को चुनौती दी है।
बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं, जब गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के डर से भागते समय उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। उनकी तीन साल की बेटी दंगों में मारे गए परिवार के सात सदस्यों में से एक थी। सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा छूट दी गई और 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया।