योगी सरकार ने बीच में रोकी मदरसों पर चल रही जांच, इस वजह से लिया गया बड़ा फैसला
लखनऊ। प्रदेश सरकार अब अनुदानित व स्थायी मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच बोर्ड परीक्षा के बाद फरवरी में कराएगी। मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने सोमवार को दूसरी बार अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह को पत्र लिखकर परीक्षा तक जांच टालने का अनुरोध किया था। इसी के बाद मंत्री ने जांच स्थगित कर फरवरी में कराने का निर्णय लिया है।
गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के बाद सरकार ने अनुदानित व स्थायी मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच कराने के निर्देश दिए थे। मदरसा बोर्ड के चेयरमैन ने इस समय जांच कराने का विरोध किया था। उन्होंने सोमवार को दोबारा पत्र लिखकर कहा कि अगर जांच बहुत जरूरी है तो इसे बाद में कराया जाए।
उन्होंने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि वैसे भी वर्ष 2017 से तीन बार जांच हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। मदरसा बोर्ड की रजिस्ट्रार ने बिना मदरसा बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास कराए निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण को जांच कराने के लिए पत्र लिख दिया था।
निदेशक ने जिलों को तत्काल जांच के आदेश भेज दिए। इसी आधार पर जांच शुरू हो गई। चेयरमैन ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि बार-बार जांच होने से अब जांच उबाऊ लगने लगी है, जांच का नतीजा कुछ नहीं आ रहा है।
पिछले वर्ष मदरसों का जो सर्वे हुआ उसका भी नतीजा नहीं आया। उन्होंने बताया कि 13 फरवरी से मदरसा बोर्ड की परीक्षा होनी है, ऐसे में अगर जांच कराई जाएगी तो परीक्षा प्रभावित होगी। मदरसों से फार्म कम आ रहे हैं, पिछली परीक्षा व स्क्रूटनी के परिणाम अभी तक जारी नहीं हो सके हैं। मदरसों की जांच का एक निर्धारित समय होना चाहिए। जांच से करीब 1.50 लाख बच्चों का भविष्य दांव पर लगाना उचित नहीं है।