यूपी विधानमंडल में शीतकालीन सत्र से पहले लागू हुए नए नियम; सदन में झंडे, मोबाइल समेत इन चीजों को ले जाने पर रोक
लखनऊ। मंगलवार को शुरू हो रहे विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से विधानसभा की कार्यवाही 65 वर्षों बाद बनायी गई नई नियमावली के तहत संचालित होगी। नए नियमों के लागू होने से विधानसभा के सदस्य सदन में मोबाइल फोन लेकर नहीं जा सकेंगे। वे सदन में झंडे, प्रतीक या कोई अन्य प्रदर्श वस्तु को प्रदर्शित नहीं कर सकेंगे।
वे सभा में ऐसे साहित्य, प्रश्नावली, पुस्तिकाओं, प्रेस टिप्पणियों, पर्चों का वितरण भी नहीं कर सकेंगे जिसका विधानसभा के कार्य से संबंध न हो। वे सदन में किसी दस्तावेज को नहीं फाड़ सकेंगे। अध्यक्ष पीठ के पास स्वयं नहीं जाएंगे। यदि जरूरी होगा तो वे पटल अधिकारियों को पर्चियां भेज सकेंगे।
पिछले सत्र तक विधानसभा की कार्यवाही उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली, 1958 के तहत संचालित होती थी। इस वर्ष अगस्त में हुए मानसून सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली, 2023 को मंजूरी दी गई थी। नई नियमावली शीतकालीन सत्र से लागू होगी।
विधानसभा में नेशनल ई-विधान लागू होने के कारण नई नियमावली में सदस्यों की वर्चुअल उपस्थिति का प्रावधान शामिल किया गया है। अब विधायक घर बैठे भी सदन की कार्यवाही से वर्चुअल माध्यम से जुड़ सकेंगे। अब सदस्यों को विधानसभा का सत्र आहूत होने की नोटिस कम से कम सात दिन पहले दी जाएगी। पिछले सत्र तक यह नोटिस 14 दिन पहले दी जाती थी।
नई नियमावली में यह व्यवस्था की गई है कि विधानसभा में प्रश्न पूछने या किसी नियम के तहत अपनी बात कहने के लिए अगर एक से ज्यादा सदस्य उठेंगे और उनमें से एक महिला हो तो विधानसभा अध्यक्ष महिला सदस्य को वरीयता दे सकते हैं। विशेषाधिकार हनन या अवमानना की गलत सूचना देने पर शिकायतकर्ता से 20,000 रुपये जुर्माना वसूला जाएगा।
नई नियमावली में प्रश्नकाल के दौरान एक प्रश्न के साथ पूछे जाने वाले अनुपूरक प्रश्नों की संख्या को दो तक सीमित कर दिया गया है। अभी इसके लिए कोई संख्या तय नहीं थी। अगर एक से अधिक प्रश्न करता हैं तो उनके द्वारा भी एक-एक प्रश्न पूछा जा सकेगा। अध्यक्ष दो अतिरिक्त अनुपूरक प्रश्नों की अनुमति दे सकेंगे।