आईएसए के अध्यक्ष ने कही ये बात,कोकिंग कोल का शीर्ष आयातक देश बना रहेगा भारत
नई दिल्ली: उद्योग संगठन आईएसए ने कहा है कि भारत निकट भविष्य में कोकिंग कोयले का सबसे अधिक आयात करने वाला देश बना रहेगा। कोकिंग कोल एक प्रमुख कच्चा माल है जिसका उपयोग ब्लास्ट फर्नेस के माध्यम से स्टील बनाने के लिए किया जाता है। भारतीय इस्पात उद्योग विभिन्न प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके कोकिंग कोयले के उपयोग को सीमित करने के लिए स्थायी मार्गों का पता लगाने के तरीके और साधन खोज रहा है।
इंडियन स्टील एसोसिएशन (आईएसए) के अध्यक्ष दिलीप ओमन ने कहा कि हालांकि यह एक लंबी यात्रा है। उन्होंने यहां आईएसए कोकिंग कोल समिट को संबोधित करते हुए कहा, ‘निकट भविष्य में भारत सबसे बड़ा कोकिंग कोल निर्यात गंतव्य बना रहेगा। इसका एक कारण घरेलू इस्पात मांग में उल्लेखनीय वृद्धि और दूसरा कारण चीन का अपने संसाधनों पर अधिक निर्भर होना है।
दिलीप ओमन ने कहा कि भारत कोकिंग कोयले का शीर्ष आयातक बना रहेगा क्योंकि अधिकांश भारतीय इस्पात कंपनियों ने बीएफ-बीओएफ मार्ग में नई क्षमताओं की योजना पहले ही बना ली है। भारत में, बीएफ-बीओएफ (ब्लास्ट फर्नेस) उत्पादन मार्ग का 46 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि ईएएफ (इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस) 22 प्रतिशत और थर्मल कोयले का उपयोग करने वाले आईएफ (इंडक्शन फर्नेस) 32 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि भारत मेट कोयले का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें पीसीआई (पल्वराइज्ड कोल इंजेक्शन) शामिल है। वार्षिक आयात 70-75 मिलियन टन के बीच होता है। उन्होंने कहा कि आयात मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा और मोजाम्बिक जैसे देशों से होता है।
पिछले छह महीनों में कोकिंग कोयले की कीमतें लगभग 100 डॉलर प्रति टन बढ़ी हैं और वर्तमान में 350 डॉलर प्रति टन पर कारोबार कर रही हैं। आईएसए के महासचिव आलोक सहाय ने कहा, “कोकिंग कोल माइनर्स और इसके उपयोगकर्ता उद्योग स्टील के बीच साझेदारी सबसे महत्वपूर्ण है। मूल्य खोज को तर्कसंगत और पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है। सेल के चेयरमैन अमरेन्दु प्रकाश ने कहा कि इस्पात उत्पादन में वृद्धि के अनुरूप अगले सात साल में भारत का कोकिंग कोयले का आयात बढ़कर करीब 120 मीट्रिक टन होने की उम्मीद है।