समिति ने विशेषज्ञों से मांगे आपराधिक कानूनों पर सुझाव, भारतीय न्याय संहिता में होंगी 356 धाराएं
नई दिल्ली। गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति ने भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पर विशेषज्ञों के विचार आमंत्रित किए हैं। समिति 11,12 और 13 सितंबर को विशेषज्ञों को सुनेगी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक को 11 अगस्त को संसद के निचले सदन में पेश किया गया था। ये विधेयक क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 व भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेंगे।
विधेयकों को पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इन तीन नए कानूनों के मूल में नागरिकों को संविधान प्रदत्त सभी अधिकारों की रक्षा करना होगा। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल के कानून उनके शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे और उनका उद्देश्य न्याय देना नहीं, बल्कि दंड देना था। तीन नए कानूनों की मूल भावना भारतीय नागरिकों को संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा करना होगा। उद्देश्य किसी को दंडित करना नहीं, बल्कि न्याय देना होगा। शाह ने कहा कि 18 राज्यों, छह केंद्र शासित प्रदेशों, एक सुप्रीम कोर्ट, 16 उच्च न्यायालय, पांच न्यायिक अकादमियां, 22 कानून विवि, 142 संसद सदस्य, लगभग 270 विधायक और लोगों ने इन नए कानूनों के संबंध में अपने सुझाव दिए। गहन चर्चा और 158 बैठकों में वे खुद मौजूद रहे, जिसके बाद इन्हें विधेयक के तौर पर पेश किया गया।
गृह मंत्री शाह ने कहा कि सीआरपीसी की जगह लेने वाले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक में अब 533 धाराएं होंगी। उन्होंने कहा, कुल 160 धाराएं बदली गई हैं, नौ नई धाराएं जोड़ी गई हैं और नौ धाराएं निरस्त की गई हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता विधेयक, जो आईपीसी की जगह लेगी, इसमें पहले की 511 धाराओं के बजाय 356 धाराएं होंगी, 175 धाराओं में संशोधन किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराएं निरस्त की गई हैं। वहीं, साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य विधेयक में अब पहले के 167 के बजाय 170 खंड होंगे। शाह ने कहा कि 23 खंड बदले गए हैं, एक नया खंड जोड़ा गया है और पांच निरस्त किए गए हैं।