सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को घुमंतू मजदूरों के राशनकार्ड बनाने के आदेश दिए हैं।
हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में घुमंतू मजदूरों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को घुमंतू मजदूरों के राशनकार्ड बनाने के आदेश दिए हैं। इससे लगभग आठ करोड़ मजदूरों को लाभ मिलेगा, जो अपनी आजीविका कमाने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास करते हैं। शीर्ष अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि घुमंतू मजदूरों को खाने-पीने की सुविधा प्रदान करना कल्याणकारी राज्य का कर्तव्य है। प्रवासी कामगार को राशन न मिलने के मामले में संज्ञान लेते हुए अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्यों का कर्तव्य है कि प्रवासी खाद्यान्न जैसे लाभों से वंचित न रहें। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि ईश्रम पोर्टल पर शेष पंजीकृत श्रमिक अभी भी राशन कार्ड के बिना है।
राशन कार्ड के बिना एक प्रवासी या असंगठित मजदूर या उसके परिवार के सदस्य योजनाओं और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभ से वंचित हो सकते हैं। एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते यह देखना संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का कर्तव्य है कि ई-श्रम पर शेष पंजीकृत कामगारों के राशन कार्डों को शीघ्र बनाने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद हिमाचल प्रदेश ने एक राष्ट्र एक राशन योजना लागू कर दी है।केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र एक राशन योजना’ स्कीम को लागू करने के लिए अंतिम तिथि 30 जून 2030 तक की सुनिश्चित की है। इस स्कीम के लागू हो जाने से देश के सभी राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों में एक राशन कार्ड वैध होगा, यानी कहीं का भी राशन कार्ड धारक कहीं की भी राशन कार्ड वाली दुकान से सब्सिडी पर अनाज खरीद पाएगा। इस स्कीम के जरिये राज्यों के प्रवासी कामगारों के लिए एक बड़ी मदद होगी, जो कहीं से भी सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त कर सकते हैं।