बीएचयू आईआईटी के शोध छात्र ने की खुदकुशी, , बंद होने वाली थी फेलोशिप
वाराणसी के बीएचयू आईआईटी के एसएन बोस हॉस्टल में रहने वाले एक शोध छात्र ने रविवार की रात फंदा लगाकर जान दे दी। हॉस्टल के छात्रों की सूचना पर लंका थाने की पुलिस पहुंची। पुलिस के सामने छात्र दरवाजा तोड़ कर अंदर घुसे और शव को फंदे से नीचे उतारा गया। फिलहाल, शोध छात्र के आत्महत्या की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है। पुलिस के अनुसार छात्र के आत्महत्या की वजह अवसाद हो सकता है।
मुजफ्फरनगर जिले के खखेड़ी गांव का मूल निवासी और दिल्ली के सागरपुर, दुर्गा पार्क का रहने वाला कुलदीप सिंह बीएचयू आईआईटी के एसएन बोस हॉस्टल के कमरा नंबर-88 में रहता था।वह आईआईटी के गणित विज्ञान विभाग का शोध छात्र था। कुलदीप के हॉस्टल के छात्रों ने उसके कमरे का दरवाजा शाम छह बजे के बाद खुलते हुए नहीं देखा।
कुलदीप के कमरे की लाइट भी नहीं जल रही थी। रात 10 बजे के लगभग कुलदीप का रूम पार्टनर यशवीर अपने विभाग से आया और दरवाजा खटखटाया तो नहीं खुला। इस पर यशवीर और अन्य छात्रों को शंका हुई। छात्रों ने अपने वार्डेन के साथ ही पुलिस को भी सूचना दी। लंका थाने की पुलिस के आने पर छात्र कुलदीप के कमरे का दरवाजा तोड़ कर अंदर घुसे तो वह गमछे और रस्सी से बने फंदे के सहारे पंखे से लटका हुआ था।
एसीपी भेलूपुर प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि छात्र के कमरे से सुसाइड नोट नहीं मिला है। आत्महत्या की वजह अवसाद प्रतीत हो रही है। परिजनों को सूचना दे दी गई है। उनके आने पर ही शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा। पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि छात्र के आत्महत्या की वजह क्या है।
पुलिस की पूछताछ में हॉस्टल के छात्रों ने बताया कि कुलदीप की शादी बीते साल नवंबर महीने में हुई थी। उसकी फेलोशिप अगले माह बंद होने वाली थी और उसका शोध कार्य भी अंतिम चरण में था।हॉस्टल के ज्यादातर छात्र इस बात को लेकर परेशान दिखे कि आखिरकार मेधावी और मिलनसार किस्म के कुलदीप ने आत्महत्या क्यों की? वहीं, कुछ छात्रों का यह भी कहना था कि कुलदीप की शादी हो चुकी थी और उसकी फेलोशिप बंद होने वाली थी।
ऐसे में कहीं वह भविष्य की चिंता में तो आत्महत्या नहीं किया है। वहीं, लंका थाने की पुलिस का कहना है कि छात्र के परिजनों के आने पर उनसे बातचीत कर आत्महत्या की वजह को समझने का प्रयास किया जाएगा। छात्र के मोबाइल का कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी खंगाला जाएगा।