अतीक से मुक्त भूमि पर बने आवासों के आवंटन के खिलाफ जनहित याचिका खारिज
प्रयागराज। माफिया अतीक अहमद के कब्जे से मुक्त कराई गई लूकरगंज की नजूल भूमि पर बनी गरीब आवास योजना के तहत फ्लैट के आवंटन में गड़बड़ी को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका लंबी बहस के बाद खारिज कर दी गई। क्राइम प्रिवेंशन कंट्रोल ऑफ इंडिया नाम की समाजसेवी संस्था की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी।
प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत माफिया अतीेक अहमद से खाली कराई गई भूमि पर बने 76 फ्लैट गरीबों, बेसहारों और बेघर लोगों को आवंटित किए जाने थे। इसके लिए लगभग 6030 आवेदन प्रयागराज विकास प्राधिकरण में दाखिल हुए थे। पहली सूची में प्राधिकरण ने 900 लोगों को पात्र घोषित किया। आपत्ति दाखिल करने की घोषित तिथि तीन जून से पांच जून के बीच कुल 469 आपत्तियां दाखिल हुईं
आपत्तियों के निस्तारण के बाद कुल 1590 लोगों को पात्र मानते हुए नौ जून को लॉटरी निकाल दी गई। याची ने गंभीर आरोप लगाए कि कुल आपत्ति के बाद घोषित पात्रों की संख्या 1360 होनी चाहिए थी, जबकि लॉटरी 1598 लोगों को पात्र मानते हुए करवाई गई। अधिकारियों ने 230 लोगों को अज्ञात स्रोतों से पात्र घोषित कर दिया। आपत्ति के त्वरित निस्तारण में भौतिक सत्यापन की पारदर्शिता पर भी याची ने सवाल खड़े किए।
विकास प्राधिकरण की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने कहा कि फ्लैट आवंटन में पूरी पारदर्शिता बरती गई है। साथ ही उन्होंने याची की विश्वसनीयता पर आपत्ति दर्ज कराई। पीडीए के वकील ने कहा कि याची संस्था का नाम प्रथमदृष्टया संदेहास्पद लगता है। यह संस्था पंजीकृत नहीं है।
वरिष्ठ अधिवक्ता की आपत्ति पर याची ने संशोधन प्रार्थना पत्र दाखिल किया और स्पष्ट किया कि याचिका त्रुटिवश गलत नाम से दाखिल हो गई और वह सुस्पष्ट साक्ष्यों और तथ्यों के साथ नई याचिका दाखिल करने की स्वतंत्रता चाहता है। कोर्ट ने याची द्वारा जनहित याचिका वापस लेने की प्रार्थना को स्वीकार कर याचिका को खारिज कर दिया।