एम्स में चल रही मंत्रों के विज्ञान की खोज, गायत्री मंत्र और ओम के उच्चारण से की गई शुरुआत

नई दिल्ली।  मंत्रोच्चार के पीछे के विज्ञान का पता लगाने की दिशा में एम्स प्रशासन ने कदम बढ़ाया है। शुरुआत गायत्री मंत्र और ओम के उच्चारण से की गई है। एम्स का फिजियोलॉजी विभाग संकाय सदस्य, रिसर्च स्कॉलर, विभाग के वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ हर दिन 10 से 15 मिनट मंत्र उच्चारण कर रहे हैं। इस दौरान वैज्ञानिक तरीके से मंत्रोच्चार के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है। अध्ययनकर्ताओं का दावा है कि शुरुआती नतीजे सकारात्मक हैं। इसे देखते हुए एम्स में अलग से अध्यात्म व विज्ञान विभाग शुरू करने की भी तैयारी है। इससे दूसरे मंत्रों पर भी इसका प्रयोग किया जाएगा।

शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को मापने के लिए वायरलेस फिजियोलॉजी मॉनिटरिंग का प्रयोग किया जाता है। इसमें लगे सेंसर शरीर में होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखते हैं। बाद में इसमें एकत्रित हुए आंकड़ों का अन्य यंत्र की मदद से अध्ययन किया जाता है। इस अध्ययन के आधार पर तय होता है कि शरीर में पहले के मुकाबले क्या बदलाव आया है।

एम्स में ‘स्वयम योग क्रेडिट’ पाठ्यक्रम के शुभारंभ के दौरान एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने कहा कि एम्स जल्द ही योग और ध्यान को लेकर विशेष क्लीनिक की शुरुआत करेगा। एम्स मरीजों की सेवा के लिए दिन रात काम कर रहा है। योग और ध्यान की मदद से मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। यह क्लीनिक कई विभागों के साथ मिलकर काम करेगा, जिसका फायदा सभी मरीजों को मिल सकेगा।

एम्स में अध्यात्म और विज्ञान विभाग शुरू कर रहा है। इस विभाग में अध्यात्म की मदद से मरीजों के उपचार की दिशा में काम किया जाएगा। साथ ही ध्यान, प्रार्थना और चिंतन जैसे अभ्यासों के माध्यम से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव के लिए प्रयास किया जाएगा।

अध्ययन के दौरान मंत्र उच्चारण से पहले वायरलैस फिजियोलॉजी मॉनिटरिंग सिस्टम को अध्ययन में शामिल लोगों के शरीर में लगाया जाता है। यह पहले, इसके दौरान और बाद में त्वचा के तापमान, सांस लेने की रफ्तार, श्वसन प्रणाली पर असर और इलेक्ट्रो कार्डियो ग्राफ में बदलाव का आकलन करता है। देखा गया है कि यदि कोई सप्ताह तक रोजाना 15 मिनट तक मंत्रों का उच्चारण करता है तो इन सबमें धीरे-धीरे सुधार आता है। अध्ययन के दौरान हार्ट रेट वेरिएबिलिटी में भी सुधार देखा गया है। डॉक्टरों का कहना है कि जिस व्यक्ति का हार्ट रेट जितना ज्यादा सही होगा, उसका दिल भी बेहतर काम करेगा। इसके अलावा मंत्र के उच्चारण से होने वाले वाइब्रेशन से फेफड़ों में सुधार होता है और उसमें सांस को रोकने की क्षमता बढ़ जाती है

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