लाखों में कारोबार करने वालों को करोड़ों का नोटिस, कारोबारियों की नींद उड़ी

जीएसटी रिटर्न की जांच के बाद सॉफ्टवेयर द्वारा भेजे जा रहे नोटिस ने कारोबारियों की नींद उड़ा दी है। लाखों रुपये के टर्नओवर वाले छोटे-छोटे व्यापारियों को करोड़ों रुपये के नोटिस भेज दिए गए। जिसने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) नहीं लिया, उससे भी आईटीसी का हिसाब मांगा है। बड़ी संख्या में शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए राज्य कर आयुक्त  ने इस तरह के नोटिस वापस लेने के निर्देश दिए हैं।

जीएसटी रिटर्न की स्क्रूटनी के बाद नोटिस डाउनलोड करने के लिए ऑनलाइन माड्यूल बनाया गया है। इस सिस्टम से ऑनलाइन नोटिस डाउनलोड की जा रही हैं और पोर्टल से करदाताओं को भेजा जा रहा है। यहां सॉफ्टवेयर कन्फ्यूज हो गया और बड़ी संख्या में गलत नोटिस भेज दीं। ऐसे करदाता जिनका टर्नओवर ही महज 40-50 लाख का है, उन्हें करोड़ों रुपये की नोटिस भेज दिया। ये व्यापारी जीएसटीआर-9 और जीएसटीआर-9सी के दायरे में नहीं आते हैं लेकिन उन्हें बिक्री और कर में अंतर बताकर नोटिस जारी कर दिए गए। इसी तरह दो करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले व्यापारियों पर जीएसटीआर-9सी लागू नहीं है, पर उन्हें भी कटघरे में खड़ा कर दिया गया।

ऐसे व्यापारियों पर टैक्स निकाल दिया गया, जिन्हें छूट दी गई थी। इतना ही नहीं जिन कारोबारियों ने केवल सेवा दी है और कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) क्लेम ही नहीं लिया, उनसे भी पूछा गया कि आईटीसी क्यों ले ली। साक्ष्य के दायरे से बाहर वाले व्यापारियों से भी ऑनलाइन सिस्टम ने साक्ष्य मांग लिए।

पूरे प्रदेश से शिकायतों की बाढ़ के बाद स्टेट जीएसटी कमिश्नर ने तत्काल ऐसे मामलों को खत्म करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी एडिशनल कमिश्नरों से कहा है कि जिन व्यापारियों को नियम विरुद्ध नोटिसें भेजी गई हैं, उनमें तत्काल संशोधित कराएं। इसी तरह कभी आईटीसी न लेने वाले व्यापारियों से भी आईटीसी के बारे में पूछ लिया गया है, जो गलत है। इस तरह के सभी मामलों को तत्काल दूर कर व्यापारियों को राहत देने के निर्देश दिए गए हैं।

जीएसटीआर 9 एक ऑडिट फॉर्म है, जिसे दो करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाले कारोबारियों को भरना होता है। इसी तरह 5 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाले व्यवसायियों के लिए जीएसटीआर 9सी फॉर्म भरना होता है।

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